मणिकर्णिका घाट (काशी) में जलती है चौबीसों घंटा चीताऐ और होती है मोक्ष की प्राप्ति
त्रिशूल नगरी में चौबीसों घंटा विराजविश्वनाथते हैं नाथों के नाथ श्री काशी
श्री काशी बनारस जोकि उत्तर प्रदेश में स्थित है और यहां की महानता से कौन है जो परिचित ना हो यहां प्राचीन कालीन कथाएं प्रचलित हैं और रेस में कथाएं हैं जो गंगा किनारे बने करीब 84 घाट घाटों का प्रत्येक घाट का अलग-अलग महत्व है जी हां हम बात कर रहे हैं श्री काशी विश्वनाथ की अरे घाट अपने आप में कुछ अलग ही महत्व रखता है लेकिन हम बात कर रहे हैं मणिकर्णिका घाट की जो कई सदी पूर्व की प्रचलित कथाएं आज भी दौरा रहा है 80000 साल पूर्व का रहस्य यह घाट पर चौबीसों घंटा जलती रहती हैं चिताएं इस घाट की मान्यता है कि इस घाट के समीप एक फू फुल कुंड नामक स्थान है जहां माता पार्वती स्नान करने प्रतिदिन आती है एक दिन की बात है उस वक्त स्थान के दौरान उनके करण घाट पर कहीं गिर गए किसकी वहां मौजूद जनों से पूछा उन्होंने कुछ नहीं बताया इसी आवेश में आकर भगवान शिव द्वारा वहां मौजूद धूम वन के निवासियों को श्रापित किया कि तुम हमेशा यहां अनादि काल तक चंडाल का कार्य करते रहोगे और चिताओं को मुखाग्नि आदि कर अपना जीवन यापन करोगे यह सब भगवान शिव जी द्वारा डोम राजा वंश के लोगों को दिया गया है इसीलिए डोम जाति के लोग प्राचीन काल से खेतों में आग देने का कार्य कर खेतों की लकड़ियों से अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहे हैं और यहां मौजूद चौबीसों घंटा चिताओं का सिलसिला लगा रहता है चाहे आंधी आए या तूफान चिताओं की आग हमेशा सुलगती लगती रहती है जिसका जिम्मा भी डोम प्रजाति के लोग ही निभाते हैं इन चििताओ की आग और लाशों के आने का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता एक चिता की आग ठंडी नहीं हो पाती तो वही कई चिंताएं कतार में लगी रहती हैं प्रतिदिन करीब 400 से 500 के लगभग सब यात्राओं आना होता है यहां कई स्थानों पर चिताओं का सिलसिला चलता रहता है जिसकी मृत शरीर को पवित्र गंगा नदी में नहाना उसको मुख आदि देकर अंतिम संस्कार तक का जिम्मा डॉन प्रजाति के लोगों का होता है चिताओं के लिए लकड़ी आदि बेचना भी इनका मुख व्यवसाय है यही रहस्य प्रचलित कथाओं को उजागर कर वास्तविक दावा करती नजर आ रही है और प्रत्येक घाटो मैं इस मणिकर्णिका घाट का अलग ही महत्व है इसी कारण इस घाट का नाम मणिकर्णिका घाट के नाम से प्रचलित हुआ है ऐसी बात नहीं इस घाट के समीप करीब 80000 साल पुराना प्राचीन फुल कुंड भी मौजूद है जो अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है इस घाट की मान्यता यह यहां मौजूद फुल कुंड में माता पार्वती और शिव भगवान प्रतिदिन स्नान करने आते हैं
और अपनी शरण में आने वाले अंतिम संस्कारों को बैकुंठ धाम मैं स्थान देते हैं इसीलिए इस जगह को त्रिशूल की नोक पर बसाया गया है
जिसकी देखरेख भी स्वयं श्री काशी विश्वनाथ ही करते हैं इस धरती का स्वामी स्वयं है झा देश के नहीं बल्कि विदेश के लोग भी मोक्ष की प्राप्ति के लिए अपने अंतिम जिंदगी के अंतिम क्षणों कोबिता ने यहां आकर कई वर्षों से बसे हुए हैं इसी आस में उनकी अंतिम क्रिया कार्य मणिकर्णिका घाट पर ही हो और भाई जिंदगी की अंतिम सांस है भी लें इस उम्मीद से बरसों पहले यहां आकर बसे हैं मैंने अभी मणिकर्णिका घाट पर कई घंटों बैठकर विश्लेषण किया और इस रहस्य को समझने की कोशिश की आखिर सच्चाई कितनी है और मैं कुछ ही घंटों बाद अपने लक्ष्य तक पहुंच गए या होने वाली एक के बाद एक दाह संस्कार का अंतिम रूप को समझा और सच्चाई ने मेरी आंखें खोल दी मैं स्वयं ही एक ब्लड प्रेशर का मरीज हूं जिसकी प्रतिदिन दवाएं भी समय-समय पर देना जरूरी है पड़ती है लेकिन यहां बैठकर चिंताओं को मैंने को चिन्ता ओ को चिताओं में परिवर्तित होता देखा है उस त्रिशूल नगरी का आश्चर्य मेरे सामने आया जिसका मैंने गहन अध्ययन कर आज सामने प्रकट कर रहा हूं मैं वहां करीब तहसील नगरी में 5 दिन के करीब रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और इन 5 दिनों में कभी भी मुझे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं आई सामने जब 5 दिन के पश्चात मैं और मेरे साथियों के साथ महाशय अपने शहर की ओर आया तो वहां से 100 किलोमीटर आने के पश्चात ही मुझे अपने आप के परिवार की कई प्रकार की चिंता है होना शुरू हो गई जिस समय सफर करते समय रात भर सो ना सके इसका एक बड़ा उदाहरण में स्वयं हूं त्रिशूल नगरी में साक्षात विराजे हैं श्री विश्वनाथ जो प्रत्येक आपदाओं से अपनी नगरी और नगर वासियों को सुरक्षित रखते हैं
और गंगा नदी स्थान करने से कई रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है प्रतिदिन शाम को अस्सी घाट ओपन गंगा आरती भी बड़े धूमधाम से होती है जिसमें हजारों लाखों भक्त जनों की मौजूदगी में गंगा मैया मानव सभी भक्तजनों को आशीर्वाद दे रही हो ऐसा प्रतीत होता है आरती भी अपने आप में बहुत रोचक होती है जैसे मानो कि साक्षात गंगा मैया वहां मौजूद है और सभी सुनील शर्मा लोक सेन शुभम मिश्रा आदि भक्तों को चरणों में सौभाग्य से आशीर्वाद प्राप्त हुआ